भारत के कड़े विरोध के बाद नई दिल्ली में अमेरिका के तत्कालीन राजदूत एरिक गार्सेटी ने सफाई दी थी। उन्होंने इसकी तुलना जी-20 सम्मेलन के दौरान विदेशी नेताओं के जम्मू-कश्मीर की यात्रा से की थी। गार्सेटी ने यह भी कहा कि अमेरिका का मानना है कि कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय है और इसे भारत तथा पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए। वहीं पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए अमेरिका हस्तक्षेप करे। वहीं अमेरिकी सांसदों के साथ मुलाकात में पाकिस्तान के गृहमंत्री ने दावा किया कि आतंकवाद और बाकी दुनिया के बीच पाकिस्तान एक दीवार की तरह से है। पाकिस्तानी मंत्री यह दावा तब कर रहे थे, जब खुद उनका देश कश्मीर में दशकों से आतंकवाद को भड़का रहा है।