भोपाल में शनिवार को लोकमाता अहिल्याबाई होलकर सशक्तिकरण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं से संवाद करेंगे। इसी कार्यक्रम में शामिल होने जा रहीं भिंड जिले के दबोह कस्बे की आशा/आशा सहयोगिनी श्रमिक संगठन की प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मी कौरव को ग्वालियर में नजरबंद कर दिया गया है।
लक्ष्मी कौरव शुक्रवार शाम दबोह से ग्वालियर पहुंची थीं और दीनदयाल नगर स्थित अपने निवास पर रुकी थीं। वह शुक्रवार रात करीब 1 बजे भोपाल रवाना होने वाली थीं, लेकिन रात 12 बजे पुलिस ने उनके घर को घेर कर नजरबंद कर दिया। शनिवार सुबह भी उनके निवास में पुलिस मौजूद रही।
लक्ष्मी कौरव का आरोप – सरकार संवाद से डर रही लक्ष्मी कौरव ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ अपनी मन की बात सुनाना चाहते हैं, लेकिन जब जमीनी स्तर पर काम करने वाली महिलाएं कुछ कहना चाहती हैं, तो सरकार डर जाती है। उन्होंने बताया कि वे भोपाल जाकर आशा और आशा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं की स्थायित्व, उचित मानदेय और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दे प्रधानमंत्री के सामने उठाना चाहती थीं।
उन्होंने मांग की, आशा कार्यक्रम को स्थायी किया जाए। स्वास्थ्य सेवाओं को निजी हाथों में जाने से रोका जाए। महिला श्रमिकों को जीवन यापन के लिए सम्मानजनक वेतन दिया जाए। प्रधानमंत्री को चाहिए कि वह सबसे निचले पायदान पर काम करने वाली महिलाओं की बात सुनें।
महिला सशक्तिकरण की बात, लेकिन जमीनी महिलाएं बाहर? लक्ष्मी कौरव ने सवाल उठाया कि जब महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है, तो जमीनी स्तर पर काम कर रहीं महिलाओं को कार्यक्रम में क्यों नहीं बुलाया गया? उनके मुताबिक, मुझे रोकना इस बात का प्रमाण है कि सरकार महिला सशक्तिकरण की बात केवल मंचों और भाषणों तक सीमित रखना चाहती है।