सेवानिवृत्ति होते रहने और पदोन्नति न होने के कारण उच्च पद रिक्त होते जा रहे थे। इसे देखते हुए उच्च पद का प्रभार देकर काम तो चलाया गया लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों को आर्थिक लाभ नहीं हुआ।
प्रभार संबंधी आदेश में इसका उल्लेख किया गया कि आर्थिक लाभ नहीं दिया जाएगा और न ही वे इसका दावा कर सकेंगे लेकिन कर्मचारी आश्वस्त हैं कि सरकार उन्हें निराश नहीं करेगी और हक मिलेगा। वेतन लाभ का मामला अटका हुआ है।
यह कब से दिया जाए, इसको लेकर शासन स्तर पर कोई राय नहीं बनी है। वित्त विभाग के साथ अभी जो अनौपचारिक चर्चा हुई है, उसमें वह इस बात को लेकर सहमत नहीं है कि पुरानी तारीख से आर्थिक लाभ दिया जाए यानी जिस तिथि से पदोन्नति दी जाए, उस समय से ही आर्थिक लाभ भी दिया जाए।
अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री लेंगे
सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सभी पक्षों से चर्चा के बाद लेंगे ताकि नौ वर्ष बाद विवादित मामले का जो निराकरण हो रहा है, वह फिर न्यायिक प्रक्रिया में न उलझ जाए। यही कारण है कि पदोन्नति नियम बनाने में विभिन्न न्यायालयों द्वारा समय-समय पर दिए निर्देशों का ध्यान रखा जा रहा है और यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि सबके हित सुरक्षित रहें।