अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने की योग्यता रद्द कर दी है। अमेरिका की होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने गुरुवार देर रात होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) को हार्वर्ड के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (SEVP) का सर्टिफिकेशन तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया।
विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने की योग्यता वापस पाने के लिए हार्वर्ड को 72 घंटों में मौजूदा बाहरी स्टूडेंट्स की जानकारी देनी होगी। अभी यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे सभी विदेशी छात्रों को दूसरे संस्थानों में ट्रांसफर लेने के लिए कहा गया है। नहीं तो उन्हें देश छोड़ना पड़ सकता है।
बीते कुछ दिनों से हार्वर्ड और सरकार के बीच विदेशी छात्रों से जुड़े रिकॉर्ड को लेकर खींचतान चल रही थी। DHS ने अप्रैल में कहा था कि अगर हार्वर्ड ने 30 अप्रैल तक विदेशी स्टूडेंट्स के अवैध और हिंसक मामलों का पूरा रिकॉर्ड नहीं दिया, तो उसका SEVP सर्टिफिकेशन छीन लिया जाएगा। यूनिवर्सिटी ने जो रिकॉर्ड दिया था, उससे प्रशासन संतुष्ट नहीं है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लगभग 27% बाहरी छात्र हैं। वहां अभी लगभग 6,800 विदेशी स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। इनमें भारत के 788 छात्र हैं। ज्यादातर स्टूडेंट्स F-1 या J-1 वीजा पर हैं। F-1 वीजा अमेरिकी शैक्षणिक संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों के लिए है, जबकि जे वीजा स्कॉलर्स, रिसर्चर्स सहित एक्सचेंज विजिटर्स के लिए है।
ट्रम्प प्रशासन बोला- यूनिवर्सिटी यहूदी-विरोधी सोच को बढ़ावा दे रही
ट्रम्प प्रशासन में होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड को लिखा लेटर X पर शेयर किया है। उन्होंने कैप्शन में लिखा, 'ट्रम्प प्रशासन हार्वर्ड को अपने कैंपस में हिंसा, यहूदी-विरोधी सोच को बढ़ावा देने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराता है।'
'यूनिवर्सिटीज के लिए विदेशी छात्रों को एडमिशन देना और उनसे मोटी फीस लेना, जिससे वे अपनी मल्टी-अरब डॉलर के खजाने को बढ़ा सके, एक विशेषाधिकार है, न कि अधिकार। हार्वर्ड को कई मौके दिए, लेकिन वह कानून का पालन करने में विफल रही। यह कार्रवाई इसे देश भर के सभी यूनिवर्सिटी और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चेतावनी है।'
होमलैंड सुरक्षा विभाग (DHS) अपने बयान में कहा कि हार्वर्ड को लीड कर रहे लोगों ने अमेरिका विरोधी, आतंकवाद समर्थक आंदोलनकारियों को कई यहूदी छात्रों को परेशान करने और शारीरिक रूप से हमला करने की अनुमति दी। हिंसा को बढ़ावा देकर कैंपस में असुरक्षित माहौल बनाया है। इनमें से कई आंदोलनकारी विदेशी छात्र हैं।
हार्वर्ड ने कहा- विदेशों छात्रों का एडमिशन रोकना गैरकानूनी
हार्वर्ड ने ट्रम्प प्रशासन की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया है। यूनिवर्सिटी ने एक बयान में कहा- हार्वर्ड में 140 से ज्यादा देशों से स्टूडेंट्स आते हैं। हम इंटरनेशनल स्टूडेंट्स और स्कॉलर्स के एडमिशन देने की अपनी योग्यता को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
यूनिवर्सिटी ने कहा- हम अपने स्टूडेंट्स की मदद देने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह प्रतिशोधात्मक कार्रवाई हार्वर्ड कम्युनिटी और हमारे देश को गंभीर नुकसान पहुंचाने की धमकी है और हार्वर्ड के एकेडमिक और रिसर्च मिशन को कमजोर करना चाहती है।
ट्रम्प ने 20 दिन पहले कहा था- हार्वर्ड का टैक्स फ्री दर्जा खत्म करेंगे
इससे पहले 2 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का टैक्स फ्री संस्थान का दर्जा खत्म करने जा रहे हैं। ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि वे इसी के हकदार हैं। वे हार्वर्ड की 2.2 अरब डॉलर फंडिंग पर रोक लगा चुके हैं।
दरअसल, ट्रम्प प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से यह मांग की है कि वह अक्टूबर 2023 के बाद कैंपस में हुई यहूदी विरोधी घटनाओं पर बनी सभी रिपोर्ट और ड्राफ्ट सरकार को सौंपे। प्रशासन चाहता है कि इन रिपोर्टों को तैयार करने वाले सभी लोगों के नाम भी बताए जाएं और उन्हें संघीय अधिकारियों के इंटरव्यू के लिए उपलब्ध कराया जाए।
यूनिवर्सिटी ने इस आदेश के खिलाफ कोर्ट में केस भी किया है। यूनिवर्सिटी का आरोप है कि ट्रम्प सरकार राजनीतिक दबाव बनाकर शैक्षणिक कामकाज पर कंट्रोल करना चाहती है। हार्वर्ड ने इसे यूनिवर्सिटी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन का आरोप लगाया है।