इंदौर। इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा चार साल पहले 20 करोड़ रुपये की लागत से देश का दूसरा स्लज हाइजिनेशन प्लांट कबीटखेड़ी में तैयार किया था। इसके लिए अहमदाबाद के भाभा एटामिक संस्थान द्वारा कोबाल्ट सोर्स भी निश्शुल्क दिया गया। स्मार्ट सिटी कंपनी का दावा इस प्लांट से 1500 केसीआइ कोबाल्ट का उपयोग कर 100 टन प्रतिदिन स्लज का उपचार कर बायो खाद बनाने का था। हकीकत यह है कि 125 केसी कोबाल्ट का उपयोग कर स्मार्ट सिटी कंपनी प्रतिदिन पांच टन बायो खाद भी तैयार नहीं कर पा रही है।
तय क्षमता के अनुसार खाद तैयार नहीं कर पाने की वजह यह है कि इस प्लांट में स्लज को सुखाने के लिए बेहतर सिस्टम नहीं है। इससे गर्मी के तीन माह में ही प्लांट में स्लज से खाद पांच टन प्रतिदिन क्षमता के अनुसार तैयार होता है और शेष नौ माह क्षमता कम रहती है और वर्षाकाल में तो उत्पादन बंद ही रहता है।
स्लज में रहती है नमी तय मात्रा से ज्यादा
कबीटखेड़ी के
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले स्लज में 80 से 85 प्रतिशत नमी रहती है, जबकि खाद के निर्माण के लिए उपचारित स्लज में 20 प्रतिशत ही नमी होना चाहिए। ऐसे में स्लज को प्लांट में अभी ड्राइंग बेड पर रखकर सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया धीमी होती है और इसमें ज्यादा समय लगता है।
एयर मैनेजमेंट सिस्टम के लिए पांच करोड़ रुपये की दरकार
स्लज को सुखाने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा स्लज हाइजिनेशन प्लांट में पाली हाउस के माध्यम से ग्रीन हाउस प्रभाव तैयार करने वाला एयर मैनेजमेंट सिस्टम लगाने की योजना है। इसमें पाली हाउस बनाकर उसके नीचे स्लज जमा किया जाएगा और उसे बार-बार पलटा जाएगा। एयर सर्कुलेशन व ग्रीन हाउस प्रभाव से स्लज को सुखाया जाएगा। इस सिस्टम को तैयार करने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी को पांच करोड़ रुपये की जरुरत है।
सिटीज 2 योजना से बाहर होने के कारण नहीं मिल सका लोन
इंदौर
स्मार्ट सिटी कंपनी को एयर मैनेजमेंट सिस्टम बनाने के लिए सिटी इंवेस्टमेंट टु इनोवेट इंटीग्रेड एंड सस्टेंट (सिटीज 2) योजना से लोन के रूप में राशि मिलने की उम्मीद थी। केंद्र सरकार द्वारा इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी को आत्मनिर्भर मानकर उसे इस योजना से बाहर कर दिया गया। ऐसे में अब इंदौर स्मार्ट सिटी कंपनी के पास इसके लिए फंड नहीं है।
अभी सिर्फ उद्यानों में ही कर पा रहे उपयोग
स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा इस बायो खाद को उर्वरक विक्रेता कंपनियों के माध्यम से किसानों को देने की भी योजना थी। फर्टिलाइजर कार्पोरशन आफ इंडिया में इसके लिए स्मार्ट सिटी ने आवेदन भी किया, लेकिन अनुमति नहीं मिली। ऐसे में इस खाद का उपयोग निगम सिर्फ अपने उद्यानों में कर पा रहा है।